वसीयत बनाने का
विचार तब आता है जब किसी व्यक्ति के पास संपत्ति हो और वह महसूस करे कि उसका अंतिम
समय निकट है। हम कितनी सारी फिल्में देखते हैं जिनमें कहानी का केंद्र वसीयत होती
है फिर भी संपत्ति वाले सभी लोग उनके जीवनकाल में वसीयत नहीं बनाते। न्यायालयों
में उचित वसीयत के आभाव के कारण विवादों से संबंधित कई सारे मामले लंबित हैं।
दुर्भाग्य से वसीयत के महत्व के बारे में अभी तक बड़ी मात्रा में जागरूकता नहीं है।
जब भी हम वसीयत के विषय में बात करते हैं आमतौर पर लोग नकारात्मक भावनाओं के बारे
में सोचते हैं व उस विषय से बचते हैं। हालांकि हमें यह समझना चाहिये कि वसीयत
बनाने का अर्थ यह नहीं है कि आप मरने वाले हैं। इसका अर्थ केवल यह है कि आप तैयार
हैं। अधिकांश युवा लोग एक वसीयत नहीं बनाते हैं-जो एक भूल है। आपके पास वसीयत होने से जीवनसाथी के नाम पर
संपत्ति स्थानांतरित करना आसान हो जाता है।
आमतौर पर परिवार
तब तक एकजुट रहते हैं जब तक परिवार का मुखिया जीवित होता है। हालांकि उसके मरने के
बाद समीकरण बदल सकते हैं। परिवार के सभी सदस्यों के हित की
रक्षा करने के लिए वसीयत का होना अनुशंसित किया जाता है। वर्तमान में आपकी संपत्ति
चाहे कितनी भी कम क्यों ना हो आप एक वसीयत बना सकते हैं इससे आपकी मृत्यु के
पश्चात वास्तविक उत्तराधिकारियों को संपत्ति अवस्तांतरित करना आसान करेगा। वसीयत
को लेकर विवाद के सबसे प्रसिद्ध मामलों में से एक श्री धीरूभाई अंबानी का है।
वसीयत बनाए बगैर उनका देहांत हो गया और इस तथ्य के कारण उत्पन्न होने वाले
पारिवारिक झगड़ों की वजह से रिलायंस के निवेशकों को परेशानी झेलनी पड़ी। कानून
स्पष्ट है कि जब कोई व्यक्ति बगैर वसीयत के मर जाता है तो संपत्ति उसकी पत्नी व
बच्चों में विभाजित की जाती है। हालांकि दो समस्याएं हैं जो विवाद को जन्म देती
हैं। पहली यह कि कौन सी संपत्ति किस के पास रहेगी? तो यदि आपके पास एक पारिवारिक विरासत है और बेटे उसे ‘परिवार में’ ही रखना चाहते हैं व बेटियों को नहीं देना चाहते हैं- बाज़ार
मूल्य उतना होने पर भी, यह समस्या
उत्पन्न करता है। अन्य श्रेष्ठ उदाहरण संपत्ति उद्धव विभाजिता का है। तो यदि आपके
पास एक संपत्ति है जिसका मूल्य 5 करोड़ है व 1 करोड़ नकद है। यदि आप दो भागों को समान रूप से
विभाजित करना चाहते हैं तो संपत्ति को बेचा जाना होगा। यदि वह एक विपणन संपत्ति है
तो यह उचित प्रतीत होता है, हालांकि यदि वह
कंपनी में शेयर को संचालित कर रही है-तो शेयरों का अवमूल्यन किए बगैर इसे बेचना
मुश्किल होगा।
इसलिए यह सलाह दी
जाती है कि एक वसीयत बनाई जाए व स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाए कि कौनसी संपत्ति
किसे प्राप्त होगी। यहाँ तक की कई लोग इस प्रकार से निवेश करते हैं कि विभाजित करने
में आसान हो एवं मूल्य उस अनुपात के अनुसार हो जिस प्रकार वह विभाजित करना चाहते
हैं।
जिस प्रकार ईसाई
मृत व्यक्ति के लिए कामना करते हैं-आपकी आत्मा को शांति मिले-यदि आप वास्तव में
मरने के पश्चात शांति प्राप्त करना चाहते हैं, तो एक स्पष्ट वसीयत बनाएं!
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