Wednesday 28 September 2016

क्या आयकर भारत की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने में सहायता कर सकता है

भारत विश्व की जनसंख्या का लगभग 1/3 भाग है। और यह अनुमानित है कि 2022 तक भारत चीन को पीछे छोड़ कर विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र बन जाएगा। दुर्भाग्य से यह राष्ट्र जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए बहुत कम कार्य कर रहा है। क्या आयकर भारत की बढ़ती जनसंख्या को कम करने के साथ ही कर दायरे में वृद्धि कर सकता है? हम संयुक्त राज्य का व भारत में आधार योजना के कार्यान्वन का उदाहरण लेते हैं।

पहली बात तो यह कि संयुक्त राज्य में आपके आश्रितों की संख्या के लिए आपको आयकर में छूट मिलती है। तो यदि आपकी कोई संतान नहीं है व सहारा देने के लिए सेवानिवृत्त माता-पिता नहीं है तो आपको संपूर्ण कर का भुगतान करना होगा। हालांकि यदि आपकी दो संतान हैं व सहारा देने के लिए बगैर किसी आय के स्त्रोत के दो अभिभावक हैं तो आपको प्रत्येक आश्रित के लिए एक निश्चित सीमा तक छूट प्राप्त होती है। यह कराधान में कुछ निष्पक्षता लाता है और बिल्कुल समान आय होने पर भी, एक अविवाहित जिसके व्यय कम हैं वह एक परिवार वाले व्यक्ति से अधिक कर का भुगतान करता है।

लोग कर लाभ प्राप्त करने के लिए उनकी संतानों की वास्तविक संख्या से अधिक संतान होने का दावा कर व्यवस्था को धोखा देने का प्रयास करते थे। हालांकि 1987 में संयुक्त राज्य की सरकार ने लागू किया कि कर विवरणी में नामित किये गए प्रत्येक आश्रित की सामाजिक सुरक्षा संख्या का भी उल्लेख किया जाना होगा। यह हमारे भारत में आधार संख्या के समान है। यह नियम लागू होते ही संयुक्त राज्य से लगभग 7 मिलियन बच्चे गायब हो गए। वे मूलतः कर से बचने के लिए नकली दावे थे।

भारत भी इसी तरह का कानून लागू कर सकता है। भारत भी एक निर्भरता भत्ता दे सकता है जिसमें भारत का कोई भी परिवार वाला व्यक्ति आधार संख्या का उल्लेख कर उसके आश्रितों की कुल संख्या पर कर में छूट प्राप्त कर सकता है। संख्या की जाँच की जा सकती है व एक संख्या का उपयोग दो अभिभावकों द्वारा नहीं किया जा सकता है, जो सॉफ्टवेयर द्वारा लागू किया जा सकता है।

इसके अलावा ऐसे नियम बनाए जा सकते हैं जो केवल दो (अथवा 3) संतान तक ही कर भत्ते की अनुमति देगें। इस प्रकार यह अभिभावकों को अधिक संतान पैदा करने के लिए निरूत्साहित करेगा। यहाँ तक की यह युवाओं द्वारा वृद्ध माता-पिता की सेवा करने वाली भारतीय परिवार व्यवस्था को भी बनाए रखेगा।

आयकर विभाग यह भी पता लगा सकता है कि क्या एक ही समय पर उन्हीं अभिभावकों को एक से अधिक करदाता द्वारा नामित किया गया है। तो एक आधार संख्या एक ही कर विवरणी के साथ संबंधित है।

ऐसे परिवर्तनों का निश्चित रूप से कोई विरोध नहीं होगा और मतदाताओं द्वारा एक स्वागत योग्य पहल के रूप में लिया जाएगा क्योंकि यह उन लोगों को कर लाभ प्रदान करता है जिन्हें इनकी सबसे अधिक आवश्यकता है व साथ ही जनसंख्या को नियंत्रित करता है, व राजकोषीय अभाव को प्रभावित किए बगैर परिवार व्यवस्था बनाए रखता है।


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