Friday 23 September 2016

क्या आयकर विभाग ने आप पर ध्यान दिया?

यदि आप उन हज़ारों लोगों में से एक हैं जिन्हे विस्तरित सीमा के भीतर आयकर रिटर्न दाखिल ना के कारण समन प्राप्त हुआ है, तो चिंता मत कीजिए आप अकेले नहीं हैं। यह रिटर्न दाखिल करने का सही अवसर है। कई लोग घबराहट की स्थिति में आ जाते हैं जबकि अन्य केवल समन को नज़रंदाज़ कर देते हैं। दोनों ही प्रतिक्रियाएं सही नहीं हैं। बस एक सीए (अधिकृत लेखापाल) या आयकर व्यवसायी से चर्चा करें व समय रहते एक रिटर्न दाखिल करें।

एक व्यक्ति जो कुछ वर्षों पहले सेवानिवृत्त हो गया, उसे आयकर विभाग द्वारा समन प्राप्त हुआ जिसमें यह प्रश्न किया गया था कि उसने निर्धारण वर्ष 2014-15 के लिए कर रिटर्न दाखिल क्यों नहीं किया (जिसमें वर्ष 2013-14 में होने वाली आय का विवरण दिया गया है)। उसने मान लिया था कि चूंकि उसे एक वेतनबद्ध आय प्राप्त होना समाप्त हो गई थी तो उसे आयकर रिटर्न दाखिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उसने पूर्वानुमानित कर लिया कि सावधि जमा ब्याज व एक संस्थान में दिये गए व्याख्यान के लिए प्राप्त हुई राशि को सूचित नहीं किया जाएगा। हालांकि आज का सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित आयकर विभाग उन लोगों के डेटा पर कार्य कर रहा है जिनके टीडीएस की कटौती की गई है व रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं। तो इस प्रकार के लोग रिटर्न दाखिल करने से बच नहीं सकते हैं।

इसी तरह, गुमस्तधारा की दुकानों के संबंध में डेटा प्राप्त किया गया है। एक दुकान मालिक को फरवरी व मार्च में एक एसएमएस प्राप्त हुआ जिसमें प्रश्न किया गया था कि दुकान/फर्म से रिटर्न क्यों दाखिल नहीं किया गया था। यदि वह एक मालिक के रूप में रिटर्न दाखिल कर रहा है तो उसे चिंता करने की आवश्यकता नहीं है- परंतु उसे उचित रूप से समन का जवाब देना चाहिए।

आयकर विभिन्न एजेंसियों से डेटा एकत्र कर रहा है व उसे स्थायी खाता संख्या (पैन) के साथ जोड़ रहा है व उन लोगों को समन भेज रहा है जिन्होंने एक उपयुक्त रिटर्न दाखिल नहीं किया है। वे एसएमएस, ई-मेल व पत्र के माध्यम से संवाद करते हैं। डेटा वार्षिक सूचना वापसी, टीडीएस वापसी एवं आयकर विभाग के निपटान के विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त हो सकता है।

वर्तमान सरकार का यह मानना है कि यदि बहुत से लोग करों का भुगतान करेंगे तो भले ही हर व्यक्ति एक छोटी राशि का भुगतान करेगा, समग्र संग्रह एक बहुत बड़ी संख्या होगी। प्रारंभ करने के लिए सरकार उन लोगों को देख रही है जिन्होने 2011-12 से 2013-14 तक रिटर्न भरा परंतु 2014-15 में रिटर्न नहीं भरा है। सरकार का विचार कर आधार को विस्तृत करना है। उदाहरण के लिए, भारत की 125 करोड़ जनसंख्या की तुलना में 5 करोड़ से भी कम लोग रिटर्न दाखिल करते हैं। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है जैसे की गरीबी, कृषि आय पर प्रदान की गई छूट। हालांकि, यह बात समझ के बाहर है कि 23 करोड़ लोग जिनके पास पैन है, उनमें से केवल 5 करोड़ लोग आईटी रिटर्न दाखिल करते हैं। यह विसंगति भारत में हमेशा से रही है हालांकि अब भी कोई सरकार इसे हल करने में सक्षम नहीं हुई है।

सरकार इन प्रयासों का कुछ फल प्राप्त कर रही है। 2013, 2014 एवं 2015 के दौरान लगभग 30,68,662 नए रिटर्न भरे गए व अभियान के बाद 4,733.61 करोड़ रूपये का अतिरिकत कर एकत्रित किया गया था। वास्तव में, पहले दौर में 12.9 लाख दाखिल ना करने वालों की पहचान की गई व विभाग को 5,36,220 रिटर्न प्राप्त करने में सहायता प्राप्त हुई जिससे स्वतः निर्धारण कर के रूप में 1,017,87 करोड़ रूपये व अग्रिम कर के रूप में 898.22 करोड़ रूपये एकत्रित हुए। करेाड़ो लोग जिन्हें हमें जोड़ने की आवश्यकता है के सामने यह नाममात्र राशि है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य की 30 प्रतिशत जनसंख्या रिटर्न दाखिल करती है। वहीं दूसरी तरफ भारत की केवल 4 प्रतिशत। तो करोड़ों लोगों को उनका कर रिटर्न दाखिल करने के लिए मनाने में समय लगेगा- बहुत लंबा समय।

इसलिए सरकार द्वारा किये गये प्रयासें की सराहना की जा रही है- परंतु अब भी एक लंबा रास्ता तय करना है। 

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