Saturday 1 October 2016

जीएसटी एटले आमतौर पर सामान्य कर

1954 में फ्रांस से प्रारंभ होने के बाद से वस्तु एवं सेवा कर 150 राष्ट्रों में लागू किया गया है। जीएसटी को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य कर-राजस्व बढ़ाना नहीं बल्कि राष्ट्र की कराधान संरचना को सरल करना है। किसी भी राष्ट्र में दो प्रकार के कर होते हैं- प्रत्यक्ष कर व अप्रत्यक्ष कर। प्रत्यक्ष कर आयकर जैसा है जो करदाता से प्रत्यक्ष तौर पर प्रभारित किया जाता है। अप्रत्यक्ष कर उत्पाद शुल्क, बिक्री कर, सेवा कर जैसे हैं जिनका भुगतान वास्तव में ग्राहकों से वसूल करने के बाद व्यापारियों द्वारा किया जाता है।

जीएसटी सभी अप्रत्यक्ष करों को एक छतरी के अंतर्गत सम्मिलित करता है व व्यापारियों को विभिन्न सरकारी विभागों के पृथक पृथक आज्ञापालन से राहत देता है। अप्रत्यक्ष कर केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा प्रभारित किए जाते हैं।

केंद्रीय कर जो जीएसटी के अंतर्गत शामिल हो सकते हैं

केंद्रीय उत्पाद शुल्क
  • अतिरिक्त उत्पाद शुल्क
  • सेवा कर
  • अतिरिक्त सीमा शुल्क
  • केंद्रीय बिक्री कर
  • उपकर (संघ द्वारा लगाए गए)
  • अधिभार (संघ द्वारा लगाए गए) 


राज्य अप्रत्यक्ष कर जो जीएसटी के अंतर्गत शामिल हो सकते हैं
  • वैट
  • क्रय कर
  • राज्य उत्पाद शुल्क (शराब के अतिरिक्त)
  • मनोरंजन कर
  • विलासिता कर
  • प्रवेश कर
  • लाटरी, सट्टेबाजी व जुए पर कर


सरकार द्वारा एक समय की अवधि में बनाई गई कराधान भुलभुलैया को सरल बनाने का एकमात्र उपाय जीएसटी है। आम आदमी कराधान की इस जटिल संरचना से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है। मैंने कुछ रेस्तरां को कर योग्य, गैर कर योग्य वस्तुएं, उच्च वैट, कम वैट व सेवा कर के विभाजन के साथ बिल प्रदान करते देखा है। यह जानने के लिए कि रेस्तरां का एक सरल सा बिल सही है अथवा नहीं, अप्रत्यक्ष करों (केंद्र व राज्य दोनो) के विषय में अच्छे ज्ञान की आवश्यकता है। जीएसटी इस बिल को बहुत सरल बना देगा। केवल एक कुल राशि व बिल की सभी वस्तुओं पर कर की एकमात्र दर। इससे हमें आसानी से निश्चित करने में सहायता प्राप्त होगी कि बिल सही है अथवा नहीं।

व्यापारियों के लिए एक सरकारी विभाग को त्रैमासिक व वार्षिक वापसी दाखिल करना आसान हो जाएगा। इसके अलावा विवाद की स्थिति में व्यापारी को एक ही प्राधिकरण को अपील करनी होगी। वर्तमान में मैंने साफ्टवेयर कंपनियों जैसा व्यवसाय देखा है जो दोनो विभागों के मध्य झगड़े से बचने के लिए वैट व सैट दौनो प्रभारित कर रहे हैं। कामकाज की वर्तमान स्थिति में ग्राहक अथवा व्यापारी में से एक को कष्ट झेलना पड़ता है।

भारत व्यापार करने की सुविधा में बहुत निचले पायदान पर आता है, 189 राष्ट्रों की सूची में 142वां स्थान और साथ ही यह कराधान सरलता के लिए 183 राष्ट्रों में से 147वें स्थान पर आता है। जीएसटी हमारे स्थान में सुधार लाएगा और इस तरह आगामी उद्यमियों को उनका स्वयं का व्यापार प्रारंभ करने में सहायता प्राप्त होगी। संक्षेप में कहें तो जीएसटी का अर्थ है आमतौर पर सामान्य कर। 

एफएम को बहु क्षेत्रवार सुधार करने चाहिए-इस बजट में अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए।

यह कहा जाता है कि राजनीति में 80 प्रतिशत कराधान है और इसलिए केंद्रीय बजट भारत सरकार का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। सरकार को राज करने के लिए कमाने की आवश्यकता है हालांकि नागरिकों को वह सरकार पसंद आएगी जो सबसे कम कर प्रभारित करती हो। सरकारें चुनाव जीतने के लिए व सत्ता में रहने के लिए लोकलुभावनबजट दे देती हैं। इससे वित्त को क्षति पहुँचती है व सरकार पैसे के बगैर राज नहीं कर सकती है। यह वैसे भी सरकार की दुबारा चुनाव जीतने की क्षमता को क्षीण करती है!

इस वर्ष एफएम की एक आदर्श स्थिति है जहाँ वह निम्नलिखित के कारण बजट एक बड़ा सुधार दिला सकता हैः

  • उन राज्यों में कोई बड़े चुनाव नहीं आने वाले हैं जहाँ भाजपा सत्ता में आ सकती है। सबसे बड़े राज्य जहाँ 2016 में चुनाव होने वाले हैं वे तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल हैं। दोनों ही स्थानों पर बीजेपी स्वयं के बूते पर नहीं लड़ने वाली है। इन दोनों की 34 राज्य सभा सीटंे हैं। छोटे राज्य जैसे केरेला, पुडुचेरी एवं आसाम की कुल 17 सीटें हैं। यदि भाजपा सभी 5 चुनाव हार भी जाए तो भी यह उनकी राज्य सभा महत्त्वाकांक्षा को क्षति नहीं पहुँचाएगी क्योंकि मतदाता लोकलुभावन भाजपा केंद्रीय बजट की वजह से भाजपा गठबंधन वाली क्षेत्रीय पार्टी को नहीं चुनने वाले हैं।

  • 1990 में आर्थिक सुधारों की वजह से अर्थव्यवस्था को बल मिला था क्योंकि वे कई क्षेत्रों में थे। आज पर्याप्त सबूत मौजूद हैं कि हमें उद्योग के 1 या 2 क्षेत्र नहीं बल्कि सभी क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है। होटल उद्योग के कष्ट झेलने पर एयरलाइन उद्योग किस प्रकार विकसित हो सकता है। लोगों के पास एक घर खरीदने का खर्च वहन करने की क्षमता होने के बगैर अचल संपत्ति उद्योग किस प्रकार विकसित हो सकता है?

  • विश्व की अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है विश्वभर में शायद ही ऐसा कोई देश है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए आकर्षक दिखाई देता हो। भारत द्वारा किए गए प्रभावशाली सुधार इसे विश्व के नक्शे पर आकर्षक बना सकते हैं व बहुत सारे धन को भारत की ओर आकर्षित किया जा सकता है।

  • दिल्ली में आप की सरकार तेजी से प्रगति कर रही है और यह भाजपा के विभिन्न राज्य चुनावों के लिए एक खतरा हो सकती है जहाँ भी आप प्रतिस्पर्धी है। भाजपा कांग्रेस को हरा सकती है परंतु आप ने दिल्ली में भाजपा को इतने अधिक अंतर से हराया है जो इससे पहले किसी भी पार्टी ने नहीं किया है। यह बजट आप सरकार को माकूल जवाब देने का एकमात्र अवसर हो सकता है कि भाजपा भी कुछ अभिनव कर सकती है व भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास कर सकती है।

  • उपयोग की वस्तुएं निर्यात करने वाले राष्ट्र एक उथल-पुथल से गुज़र रहे हैं। वस्तुएं जैसे तैल, स्वर्ण व अन्य धातु अधिक महंगी नहीं हो रहीं हैं। इन राष्ट्रों को केवल अपने घाटे को बनाए रखने के लिए उत्पादन करना जारी रखना होगा। भारत के पास वस्तुओं का उपभोग करने का व विकास करने का शानदार अवसर है।


निवेश का चक्र-कार्य का विकास- राष्ट्र को एक स्थिर गति पर विकसित करने के लिए निवेश पर वापसी को बढ़ाते रहना होगा। उदाहरण के लिए पर्यटन उद्योग पूंजी व अवसंरचना का वित्तपोषण करने वाले स्थानीय पर्यटकों के बगैर पनप नहीं सकता। अवसंरचना का निर्माण होने के बाद विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना आसान है जो वास्तव में अर्थव्यवस्था का विकास करते हैं।

विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक आसान तरीका विदेशियों के लिए अचल संपत्ति क्षेत्र उपलब्ध कराना है। चीनी लोग केवल एक ही घर खरीद सकते हैं इसलिए वे संयुक्त राज्य में कनाडाई लोगों के अलावा सबसे अधिक संपत्ति खरीदने वालों में से एक हैं। विश्व उन छोटे राष्ट्रों से भरा पड़ा है जो उपयोग की वस्तुओं का आयात करने के लिए उनकी अचल संपत्ति बेचते हैं। भारतीयों के पास 800 डॉलर मूल्य के बराबर मात्रा में सोना है-जिसमें से अधिकांश आयात किया हुआ है। हमने उसके लिए भुगतान किस प्रकार से किया? बिल गेट्स ने कहा था कि भूमि का स्वामित्व आसानी से विदेशियों को दे दिया जाना चाहिए क्योंकि यह वह एक वस्तु है जो वे लोग जहाजों में लादकर देश से बाहर नहीं ले जा सकते। भारत को उसकी बढ़ती हुई जनसंख्या को शहरों में स्थानांतरित होकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बहुत सारा निवेश करना होगा। विदेशी निवेश के बगैर इस विस्तरण का वित्तपोषण करना असंभव होने वाला है। भारत में इतनी आकर्षक प्रतिफल दर के कारण बहुत से प्रवासी भारतीय भारत में निवेश करने में रूचि लेंगे।

भारत में निवेश करने की एकमात्र समस्या मुद्रा अवमुल्यन है जो केवल तभी रोका जा सकता है जब हम हमारे निर्यात को बढ़ा कर व हमारी भूमि को बेचकर पर्याप्त विदेशी मुद्रा प्राप्त कर सकें। विनिमय दर में स्थिरता निवेश में आत्मविश्वास उत्पन्न करेगी एवं अधिक निवेश लाएगी।

एफएम के पास इस तरह के गौण, बहु क्षेत्रीय सुधार लाने का जो अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं, व भारत को विश्व के केंद्रीय मंच पर लाने का अद्भुद अवसर है।