कराधान में किसी भी नियमन के
परिवर्तन का अर्थ आमतौर पर या तो अधिक कर या कठिन प्रक्रिया होता है। दोनो ही तरह से नियमन
में इस प्रकार के परिवर्तन का आमतौर पर लोगों द्वारा विरोध किया जाता है। हालांकि
प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर नियमन का उद्देश्य मौजूदा कराधान संरचना को सरल
बनाना व उपयोगकर्ता द्वारा वहन किए जाने वाले कुल कर-भार की कीमत को कम करना है।
इमानदार करदाता के लिए सुविधा व कर-वंचकों को निरूत्साहित करना कराधान की इस
पद्धति के दो प्रमुख लाभ हैं।
संक्षेप में समझाने के लिए, जब आप एक राज्य से वस्तुएं खरीदते हैं तो आप बिक्री कर
(सीएसटी) का भुगतान करते हैं और जब आप उन्हीं वस्तुओं को अन्य राज्य में बेचते हैं
तो आपको पुनः वैट का भुगतान करना पड़ता है। तो यह उन्हीं वस्तुओं व उसी लेनदेन का ‘दोहरा कराधान’ है क्योंकि आपको पहले ही भरे जा चुके कर का क्रेडिट प्राप्त
नहीं होता है। जीएसटी का उद्देश्य यह है कि ऊपर उल्लेखित स्थिति में आप केवल
बिक्री मूल्य में वृद्धि पर कर का भुगतान करें व आपको क्रय करते समय भुगतान किये
गये कर का क्रेडिट प्राप्त हो।
सबसे बड़ा लाभ यह होगा की
बहुविध कर जैसे कि केंद्रीय बिक्री कर, उत्पाद शुल्क, सेवा कर, राज्य
बिक्री कर, प्रवेश कर, मनोरंजन कर, विलासिता-कर, कारोबार कर आदि अब अस्तित्व में नहीं रहेंगे और सभी को
जीएसटी के भीतर सम्मिलित कर लिया जाएगा। दोहरे कराधान के परिहार के अतिरिक्त सबसे
बड़ा लाभ अनुपालन लागत में कमी है। कागज़ी कार्यवाही भी कम हो जाएगी क्योंकि संचिका
वापसी,
आंकलन एवं अपील के लिए एकल प्राधिकरण रहेगा। इसलिए अलग रिकार्ड
बनाए रखने, विभिन्न सलाहकारों से
मिलने व विभिन्न विभागों के साथ पालन करने जैसे अनुत्पादक कार्य कम हो जाएंगे।
किसी भी आकार के व्यापार के
लिए और विशेष रूप से राष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए यह ज़बरदस्त लाभ है। यह कर-बचत
अंततः उपभोक्ताओं को हस्तांतरित कर दी जाती हैं। इसके अतिरिक्त लघु व्यापारियों को
विभिन्न सेवाओं के लिए उनके द्वारा चुकाये गए कर का निवेश क्रेडिट प्राप्त होगा।
अब तक चुकाये गये सेवा-कर का उपयोग केंद्रीय बिक्री कर के प्रति भुगतान के लिए
नहीं किया जाता था। हालांकि जीएसटी में आप टेलिफोन बिल, ए.सी सेवा शुल्क, कम्प्यूटर एएमसी, इंटरनेट के खर्च आदि पर चुकाये गए सेवा-कर का लाभ ले सकते
हैं।
अब व्यापार करना अधिक आसान व
अधिक सुविधाजनक होगा क्योंकि विभिन्न अप्रत्यक्ष कराधान अब मौजूद नहीं होंगे। एक
नया व्यापार प्रारंभ करना अब आसान होगा और इसलिए उपभोक्ताओं को वस्तुओं व सेवाओं के
लिए कई विकल्पों की सुविधा होगी। यह स्वतः ही मूल्यों को नियंत्रण में रखता है व
सुनिश्चित करता है कि घटे हुए करों का लाभ उपभेक्ताओं को हस्तांतरित किया जाए।
जीएसटी भारत को निर्यात बाज़ार
में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा क्योंकि निर्यातकों को वैट/सीएसटी वापसी का लाभ
प्राप्त होगा। विकसित राष्ट्रों में हवाई अड्डों पर जीएसटी वापसी के बूथ होते हैं
ताकि अंतराष्ट्रीय पर्यटकों को उनके द्वारा की गई खरीददारी पर चुकाये गए जीएसटी की
वापसी प्राप्त हो। यह पर्यटकों के खर्च को बढ़ाता है व विदेशी मुद्रा में बढ़ोतरी
करता है। कुल मिलाकर, एक बेहतर कल
देखने के लिए भारत को आज जिसकी आवश्यकता है, वह परिवर्तन जीएसटी है।
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