Thursday 22 September 2016

कैसे जीएसटी को बढ़ा सकते हैं भारत के निर्यात

भारत एक घाटे के व्यापार वाला राष्ट्र है- यह आयात अधिक करता है व निर्यात कम करता है। अधिकांश निर्यात सॉफ्टवेयर (99 बिलियन डॉलर) व परिष्कृत तेल (60 बिलियन डॉलर) का होता है। हैरानी की बात है कि ये दोनों उत्पाद राज्य के करों के भार से मुक्त हैं। सॉफ्टवेयर निर्यात वैट में कर योग्य नहीं हैं और आमतौर पर परिष्कृत तैल का कर मुक्त निर्यात किया जाता है क्योंकि यह केवल निर्यात के उद्देश्य के लिए होता है। 

दुर्भाग्य से अर्थव्यवस्था के अन्य विभागों के पास ‘‘एकल कर लागू’’ होने की विलासिता नहीं है। आटोमोबाइल निर्यात (14 बिलीयन डॉलर) का ही उदाहरण ले लीजिए।  अंतिम उत्पाद जब निर्यात किया जाता है तब ना तो उसपर उत्पाद शुल्क (सेनवैट) कर लागू किया जाता है ना ही राज्य कर (वैट)। पार्टस निर्माता द्वारा भुगतान किया गया सेनवैट भी निर्यातक को वापस कर दिया जाता है। हालांकि पार्टस निर्माताओं द्वारा भुगतान किया गया वैट उन्हें वापस नहीं किया जाता है। तो तकनीकि रूप से हमारे निर्यात शून्य दरों पर नहीं हैं। हम हमारे निर्यातों पर अप्रत्यक्ष कर लगा कर उन्हें अप्रतिस्पर्धी बना देते हैं। निर्यात बाजार में परिवहन व्यवहार्य बनाने के लिए मात्रा भारी है। एक एक पैसा महत्वपूर्ण है। निर्यात होने वाली वस्तुओं का कच्चा माल वैट एवं केंद्रीय बिक्री कर झेलता है और इसलिए निर्यात मूल्य में एक ऐसा भाग है जो कि कर के रूप में चुकाया जाता है जिसका भुगतान करने की आवश्यकता अन्य राष्ट्रों को नहीं होती है। जीएसटी का उद्देश्य इसी विसंगति को सही करना है। जीएसटी व्यवस्था के तहत किए गए निर्यातों को निर्यातक द्वारा चुकाए गए किसी भी प्रकार के अप्रत्यक्ष कर की पूर्ण वापसी मिलेगी।
 
आईटी/आईटीइएस उद्योग जो सॉफ्टवेयर व सेवाओं का निर्यात करता है इस प्रावधान का लाभ ले सकता है। वर्तमान में भारत के विदेशी मुद्रा व्यावसायिक संघ में मुख्य योगदानदाता होने पर भी टीसीएस, इंफोसिस एवं विप्रो जैसी कंपनियों द्वारा कम्प्यूटर, पट्टे पर इंटरनेट लाइने, जनरेटर, एसी आदि की खरीदी पर चुकाया गया सेनवैट/वैट वापसी योग्य नहीं है। यदि उन्होनें अपने व्यापार की अवधि में कम्प्यूटर हार्डवेयर/ सॉफ्टवेयर की खरीदी पर जीएसटी का भुगतान किया हो तो इस प्रकार के कर के भुगतान के लिए उन्हें वापसी की अनुमति दी जाएगी।  उनके मुनाफे में वृद्धि होगी व उनके शेयर धारक प्रसन्न हो जाएंगे। कच्चे माल में छुपे कर और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अंतिम उत्पाद की कीमतें उससे प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित होती हैं व भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार से विश्वभर में सरकारें घरेलू आपूर्तिकर्ता को नुकसान पहुँचाए बगैर निर्यातकों की सहायता कर रहीं हैं। हालांकि भारत में सॉफ्टवेयर पर आयकर छूट हटा दी गई थी व उन्हें अन्य घरेलू कंपनियों के समकक्ष माना जाता है। इसलिए हमें अधिनियम के पारित होने के बाद नियमोंका इंतज़ार करना होगा यह देखने के लिए कि क्या सरकार सॉफ्टवेयर कंपनियों को लाभ देने वाली है। 

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