एक प्रसिद्ध
अर्थशास्त्री ने कहा -भारत गरीब है, क्योंकि यह गरीब है। हालांकि यह एक आम भावना प्रतीत हो सकती है परंतु इस वाक्य
में एक गहरा अर्थ है। भारत को उन उद्योगों की स्थापना करने के लिए जो नौकरियां
देते हैं व जनता की आय बढ़ाते हैं, बहुत सारी पूंजी
की आवश्यकता है। हालांकि भारतियों के पास निवेश करने के लिए पूंजी नहीं है,
वे नौकरी प्रदान नहीं कर सकते और इससे जनता
हमेशा गरीब रहती है।
इस चक्र को तोड़ने
के लिए हमें घरेलू बचत दर बढ़ाने की आवश्यकता है। अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि
यदि भारतीय परिवार की प्रायोज्य आय कम है तो बचत कैसे हो सकती है। तद्यपि बार बार
भारतीय ‘‘पोंज़ी’’ योजनाओं के जाल में फस जाते हैं और हर वर्ष
हज़ारों करोड़ रूपये चिट फंड, पोंज़ी योजनाओं और
तुरंत अमीर बनो योजनाओं के माध्यम से खींच लिये जाते हैं। यह धन कहां से आता है और
आम आदमी उसकी बचत बढ़ाने के लिए संरचित वित्तीय साधनों पर क्यों नहीं विश्वास करता?
कारण बहुत सरल है
और तब भी अधिकांश नीति निर्माताओं ने इसे नज़रंदाज़ किया है। क्योंकि एक गरीब आदमी
कड़ी मेहनत करता है, साधारण ब्याज और
नियमित बचत उसे असाधारण रूप से धनी व्यक्ति नहीं बना देंगे। एक निर्धन व्यक्ति को
उसके जीवनकाल में धनी बनने का एकमात्र रास्ता एक लॉटरी जीतना, तुरंत अमीर बनने की योजनाओं में में भाग लेना
है। गरीब लोग पीढ़ी दर पीढ़ी कानूनी रूप से व कम जोखिम वाले विकल्पों से धनी बनने की
आशा खो चुके हैं।
एक समाधान है
जिससे हम लोगों को पैसे बचाने के लिए व असाधारण रूप से धनी बनने के लिए
प्रोत्साहित कर सकते हैं। यह ‘‘प्राईज़ लिंक्ड
सेंविग स्कीम’’ कहलाती है।
(पीएलएसएस) योजना बहुत सरल है, भाग लेने वाले
खातों के हितों का एक भाग एक अलग कोष में रखा जाता है। एक लॉटरी घोषित की जाती है
व कोष एक या दो लोगों को वितरित कर दिया जाता है जिससे वे बहुत धनी बन जाते हैं।
उदाहरण के लिए,
हमारी प्रधानमंत्री जन धन योजना
(पीएमजेडीव्हाय) में, मौजूदा बयाज दर 4 प्रतिशत है। एक पीएलएसएस खाता शुरू किया गया
है और वह 3.7 प्रतिशत ब्याज
अर्जित करता है। यह 25 प्रतिशत ब्याज
एक खाते में डाल दिया जाता है जो समय समय पर एक विजेता घोषित करता है। तो मान
लीजिए कि पीएमजेडीव्हाय में कुल जमा 30,000 करोड़ रूपये हैं। यदि सभी खाते पीएलएसएस में हैं तो एक वर्ष में 25 प्रतिशत बयाज 75 करोड़ रूपये होता है। यह एक करोड़ हर एक को देकर 75 लोगों में वितरित किया जा सकता है। इसके
अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है जिससे ये लोग इनके जीवन में 75 करोड़ रूपये कमा पाते।
फलस्वरूप यह
योजना में भाग लेने वालों की संख्या बढ़ाएगा व कोष एवं विजेताओं की संख्या भी
बढ़ाएगा। आप जितनी अधिक बचत करेंगे ईनाम जीतने का उतना अधिक मौका रहेगा; बेशक ऊपरी सीमा के साथ ताकि जो लोग पहले ही
धनवान हैं उन्हे लाभ प्राप्त ना हों।
प्राइस लिंक्ड
बचत खातों की पेशकश अर्जेंटिना, ब्राज़ील, कोलंबिया, जर्मनी, इंडोनेशिया,
ईरान, जापान, मेक्सिको, ओमान, पाकिस्तान, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, तुर्की, संयुकत अरब अमीरात और वेनेज़ुएला ने भी की है।
ईरान में पीएलए जनता के लिए उपलब्ध बचत खातों का सबसे सामान्य रूप है, क्योंकि उन्हें इस्लामिक
कानून के अनुपालन के साथ देखा जाता है जिसमें परिसंपत्तियों पर गारंटी ब्याज कमाने
की मनाही है।
विश्व भर में कई
राष्ट्रों में पीएलएसएस के आगमन ने एक गहरा प्रभाव बनाया है क्योंकि आम जनता के
पास जो अब तक केवल सट्टेबाजी या लॉटरियों से परिचित थी, अब ना केवल बचत सुरक्षा की गारंटी है बल्कि लॉटरी के रूप
में आकर्षक पुरस्कार देने का वादा भी है। यह जैसा की प्रेस ने हवाला दिया ‘‘बगैर नुकसान वाली लॉटरी’’ है। कहा जा रहा है कि ब्रिटेन में खजाना एक लाख
तक पहुँच चुका है।
यह भी माना जाता
है कि पीएलएसए ने काफी हद तक लोगों को बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
संयुक्त राष्ट्र में इसकी स्थापना के 50 वर्षों के साथ व 20 मिलियन लोगों से
अधिक के 25 बिलियन पाउंड से अधिक के
बराबर राशि के प्रीमियम बांड में निवेश करने के साथ लगता है कि पीएलएसए योजना ने
स्वयं को मजबूती से स्थापित कर लिया है।
इस योजना का सबसे
बड़ा लाभ यह रहा है कि यह बचत ना करने वाले लोगों को भी बैंक तक लेकर आने में सफल
हुई है व लोगों के मस्तिष्क में यह बात बिठाने ने सफल हुई है कि सही कार्य करना भी
आपको किसी दिन करोड़पति बना देगा।
मुझे यकीन है
अमिताभ बच्चन ब्रांड एंबेसडर बनने के लिए सहमत होंगे और प्रत्येक भारतीय से
पूछेंगे-कौन बनेगा करोड़पति? जो बचाएगा रोज़ एक
पत्ती!
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