विश्व में आज
भारत को सॉफ्टवेयर प्रमुख के रूप में अच्छी तरह से जाना जाता है। विश्व में भारतीय
सॉफ्टवेयर कंपनियों का उनकी लागत कुशलता व जनशक्ति की गुणवत्ता के लिए सम्मान किया
जाता है। जिस प्रकार से जर्मनी उसकी कारों के लिए जाना जाता है, भारत विश्व भर में उसके सॉफ्टवेयर के लिए जाना
जाता है।
हालांकि भारत
सरकार सॉफ्टवेयर उद्योग के साथ सौतेली माता जैसा व्यवहार करती है।
भारत में एक
सॉफ्टवेयर खरीदने पर दो तरह के कर लागू होते हैं जो पूरी राशि के लिए एकल लेनदेन
पर अन्यथा कभी एकसाथ लागू नहीं होते हैं।
भारत में कानून
काफी आसान है, यदि आप एक वस्तु
खरीदते हैं तो आपको राज्य बिक्री कर का भुगतान करना होगा जो वैट कहलाता है और यदि
आप सेवा खरीदते हैं तो आपको केंद्रीय सेवा कर का भुगतान करना होता है जिसे एसटी
कहा जाता है। अब राज्य सरकारों ने लायसेंस वाले सॉफ्टवेयर को ‘वस्तु’ के रूप में वर्गीकृत किया है और इसलिए वैट लागू होता है। जबकि केंद्र सरकार
कहती है कि सॉफ्टवेयर एक ‘सेवा’ है और इसलिए एसटी लागू है।
काफी निर्णय
विधियों व सूचनाओं द्वारा स्पष्ट किए जाने पर भी कि दोनों
में से एक कर लागू होने योग्य है, आज अधिकांश
कंपनियां दो स्वतंत्र कर प्राधिकरणों द्वारा परेशान होती हैं। तो सुरक्षित पक्ष पर
अधिकांश कंपनियां दोनों कर प्रभारित करती हैं!
तो यदि आप 100 रूपये मूल्य का सॉफ्टवेयर पैकेज खरीदते हैं तो
आप एसटी के रूप में 14 रूपये व वैट के
रूप में 4 रूपये का भुगतान करते
हैं। तो फलस्वरूप आप कर के रूप में 18 रूपये का भुगतान करते हैं और कुल मिलाकर आप 118 रूपये का भुगतान करते हैं। यदि सॉफ्टवेयर आयात किया गया है
तो निश्चित ही कंपनी को सीमा शुल्क का भुगतान करना होता है और यदि यह तब भी पैसे
कमा लेता है तो आयकर प्रभारित किया जाता है।
यदि भारत अपने
सॉफ्टवेयर निर्यात में वृद्धि करना चाहता है तो इसे सॉफ्टवेयर कंपनियों को आगे
बढ़ने व पनपने के लिए अनुकूल जलवायु देना चाहिए। किसी भी जटिल सॉफ्टवेयर को जिसे
लिखे जाने की आवश्यकता है पहले पैकेज सॉफ्टवेयर खरीदना होता है। तो हर एक
सॉफ्टवेयर निर्यातक को कई सारे लायसेंस वाले सॉफ्टवेयर खरीदने होते हैं। निर्यातक
कंपनियों की सहायता करने की बजाय सरकार उनपर दुगना कर प्रभारित कर रही है।
कल्पना कीजिए यदि
जर्मनी उनकी कारों पर दुगना कर लागू करे तो क्या उसके पास इतनी अत्यधिक विकसित कार
की कंपनियां होंगी?
जीएसटी इस प्रकार
की विसंगतियों में एक स्पष्टता लाएगा। चाहे वह वस्तु हो अथवा सेवा कानून उन दोनों
को दायरे में लेगा और इसलिए दुगना कर लागू नहीं किया जाएगा।
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