Wednesday 28 September 2016

एक वसीयत किस प्रकार तैयार की जाए

पिछले लेख में हमने देखा कि बहुत से लोग वसीयत नहीं बनाते हैं और उनकी मौत के बाद परिवार संपत्ति के लिए द्वेषपूर्ण झगड़ों में संलग्न हो जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि वसीयत बनाना इतना कठिन नहीं है। केवल एक कागज़ व कलम से भी काम चल सकता है!

एक वसीयत के चार भाग होते हैं, पहला- घोषणा कि आप कौन हो और यह कि आप यह वसीयत पूरे होश में लिख रहे हैं। दूसरा-उस परिसंपत्ति की घोषणा जिनके आप मालिक हैं। यह स्वर्ण व गहनों से लेकर आपकी अलमारी में रखी हुई नकदी भी हो सकती हैं। तीसरा-संपत्ति स्वामित्व का विवरण। कभी कभी परिसंपत्ति किसी के साथ संयुक्त स्वामित्व में होती है और कई बार वे पैतृक संपत्ति होती है। पैतृक संपत्ति के लिए हिंदु कानून अलग है आपको यह घोषणा करने की आवश्यकता है कि वसीयत में आपके द्वारा उल्लेखित संपत्ति आपके द्वारा उत्पन्न की गई है अथवा नहीं। चौथा और अंतिम भागः हस्ताक्षर। आपको उन कुछ गवाहों के सामने हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है जिनका वसीयत में कोई स्वार्थ निहित नहीं है। आदर्श रूप में चिकित्सक व वकील सबसे अच्छे गवाह हैं। एक देखेगा कि आपका मन स्वस्थ है और दूसरा आपकी वसीयत का आलेखन देखेगा।

आप स्वयं की लिखावट के साथ एक सादे कागज़ में वसीयत तैयार कर सकते हैं। आपको एक स्टांप पेपर या कानूनी कागज़ की आवश्यकता नहीं है। आपका 21 वर्ष अथवा उससे अधिक का होना आवश्यक है व सबसे महत्त्वपूर्ण आपको संपत्ति की आवश्यकता है। संपत्ति का मूल्य अनावश्यक है परंतु संपत्ति होना आवश्यक है।

आमतौर पर नवीनतम वसीयत ही अंतिम वसीयत है व निष्पादन के लिए उसे ही वैध दस्तावेज़ माना जाएगा, इसलिए दिनांक हमेशा लिखें। हालांकि, यह उल्लेख करना सुरक्षित है कि यह अंतिम वसीयत है और यह पिछली वसीयत को प्रतिस्थापित करता है ताकि कोई भ्रम ना रहे। कभी कभी नई परिसंपत्ति भी खरीद ली जाती है, कई बार नए उत्तराधिकारी आ जाते हैं, तो यह सलाह दी जाती है कि हर वर्ष वसीयत का नवीनीकरण किया जाना चाहिए। 

तो क्या वसीयत तैयार करने के लिए आपको वकीलों की आवश्यकता होगी?

एक वसीयत बनाना काफी आसान है। हालांकि, यदि कई वंशज व कई सारी संपत्ति है, तो ऐसी स्थिति में वकीलों की सेवाएं प्राप्त करने की सलाह दी जाती है। निष्पादक एक व्यक्ति है जो वसीयत में आपके निर्देशों का अनुसरण करता है। भारत में न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में अदालत में वसीयत तैयार करना न्यायिक तौर पर आवश्यक नहीं है। हालांकि यदि आप चाहें, तो वसीयत मजिस्ट्रेट या सरकारी अधिकारियों द्वारा नामित सार्वजनिक नोटरी में कार्यान्वित की जा सकती है व उनकी उपस्थिति में सील की जा सकती है।

वसीयत को एक मोटे कागज़ पर बनाइये क्योंकि इसे लंबे समय तक संभाल कर रखे जाने की आवश्यकता होती है। आदर्श तौर पर इसे एक बैंक के लॉकर अथवा सुरक्षित स्थान पर होना चाहिए और आपको इसके बारे में आपके निष्पादक को सूचित करना चाहिए।

वसीयत तैयार करने की समस्याएं:

पिछले लेख में हमने देखा कि एक वसीयत बनाना काफी सरल है। हालांकि इसका अर्थ यह नहीं है कि इसमें कोई समस्या नहीं है। कुछ ऐसा स्थितियां हैं जो सरल प्रक्रिया को थोड़ा जटिल बना देती हैं।

एक सामान्य उदाहरण परिसंपत्ति के विभाजन का है। तो यदि आपके पास दो संपत्ति है- एक का मूल्य 5 करोड़ है व दूसरी का 1 करोड़ और आप दो बेटों के मध्य बराबर बांटना चाहते हैं। तो दोनों संपत्तियों को विभाजित करने के बजाय आपको दोनो को प्रत्येक संपत्ति में बराबर हिस्सा देने की आवश्यकता है। इससे कभी कभी समसयाएं उत्पन्न हो जाती हैं क्योंकि शायद एक व्यक्ति इसे बेचकर शेयर भुनाने की इच्छा रख सकता है। तो जीवन के उत्तरार्ध के वर्षों में लोग ऐसी संपत्ति खरीदते हैं जो विभाजित की जा सके। जैसे दो फ्लेट/दो प्लाट /दो बंगले ताकि संयुक्त हित की कोई स्थिति ना रहे।

अब मूल्यांकन की समस्या उत्पन्न होती है आपके वसीयत बनाने से लेकर उसका निष्पादन किए जाने तक। तो मान लीजिए कि भिन्न क्षेत्रों में दो फ्लेट हैं दोनो की कीमत 2.5 करोड़ रूपये हैं। लगभग 10 वर्षों बाद जब वास्तव में वसीयत निष्पादित की जाती है, तब दोनों के मूल्य में 2 करोड़ का अंतर होता है। यह भिन्न कारणों की वजह से हो सकता है और लंबे समय की अवधि में संपत्ति का मूल्य समान रूप से नहीं बढ़ता। तब कम मूल्य प्राप्त करने वाला उत्तराधिकारी असंतुष्ट हो सकता है भले ही आपने संपत्ति समान रूप से विभाजित की हो।

हिंदु विभाजित परिवार (एचयूएफ) एक अन्य प्रमुख है जहां संपत्ति रखी जाती है। कुछ वर्षों से महिला सदस्यों को भी एचयूएफ द्वारा संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त हैं। आप एचयूएफ संपत्ति को आपकी वसीयत में नहीं रख सकते और यह एक अलग प्रमुख के रूप में कर्ता बदलने के साथ जारी रहेगा।

यदि आपका एक छोटा परिवार है व आपकी पत्नी एकमात्र उत्तराधिकारी है जबकि आपका बच्चा अभी भी अवयस्क है तो वसीयत बनाने व उसका निष्पादन करने के झंझटों से बचना ही ठीक प्रतीत होता है। आप सामान्यतः सभी संपत्ति आपके संयुक्त नाम में रख सकते हैं ताकि यदि आपकी मृत्यु हो जाए तो आपकी पत्नी स्वतः ही मालिक बन जाए। केवल एक मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने से वह संयुक्त बैंक खाते का नियंत्रण प्राप्त कर सकती है, जो संकट के समय बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है। संयुक्त स्वामित्व के साथ एक वसीयत आपकी मृत्यु के पश्चात आपकी पत्नी के सामने आने वाली हर समस्या का समाधान करने में सहायता कर सकती है।

तो क्या आप संपत्ति को मूल्य, प्रतिशत या वस्तुओं के आधार पर विभाजित करते हैं। परिसंपत्तियों के मामले में यह एक बड़ी समस्या है क्योंकि यदि आप संपत्ति को एक निश्चित अनुपात में विभाजित करना चाहते हैं- और आप ऐसा मूल्यों पर करते हैं, परंतु वे बदलते हैं व औसत गड़बड़ा जाता है।

जैसा कि हम देख सकते हैं, एक स्पष्ट वसीयत बनाने के बाद भी कुछ समस्याएं हैं। हालांकि यदि आप एक वसीयत के बगैर मर जाते हैं- तो निश्चित ही उससे और अधिक बड़ी समस्याएं उत्पन्न होंगी।


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