Friday 4 November 2016

क्या नकद की अनुपस्थिति अपराध को कम करती है?

बैंक डकैती, जुआ, तस्करी, भ्रष्टाचार, वेश्यावृत्ति, नशीले पदार्थों की बिक्री, नकली मुद्रा और कर चोरी में क्या समानता है? ये सभी नकदी पर निर्भर हैं। ये वे अपराध हैं जो अर्थव्यवस्था में नकद की उपस्थिति पर अत्यधिक निर्भर हैं। तो इस समस्या के दो पहलू हैं। पहला यह कि ऐसे सौदों में बहुत सारी नकदी होती है व नकद एक विशेष मूल्यवर्ग का होना चाहिये।

हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने कहा कि अर्थव्यवस्था में काले धन को कम करने के लिए 1000 रूपये व 500 रूपये के नोटों को समाप्त कर दिया जाना चाहिये और करोड़ों रूपये की राशि का 100 रूपये के नोट में होना असुविधाजनक हो जाएगा। एक व्यक्ति जो 5 लाख रूपयों से भरा हुआ भारी बैग लेकर सरकारी अफसर से मिलने जा रहा है, उसपर सीसीटीवी में भी नज़र पड़ सकती है क्योंकि वैसा ही व्यक्ति अफसर के कैबिन से हल्का बैग लेकर बाहर निकलता हुआ दिखेगा। यह छोटे भ्रष्टाचार के संबंध में एक अच्छा विचार है- बड़े पैमाने के भ्रष्टाचार फिर भी होंगे ही क्योंकि अपतटीय बैंक खाते जारी रहेंगे। हालांकि यदि हम अपराध को कम करना चाहते हैं तो हमें नकद लेनदेन पर अपनी निर्भरता को कम करना होगा। छोटी डकैतियां व अवैध कारोबार नकदी पर अत्यधिक निर्भर करती है। कल्पना कीजिए कि एक व्यक्ति ड्रग्स खरीदने के लिए एक बड़ा बैग ले जा रहा है। उसपर नज़र ना पड़ना असंभव है।

तो मुद्राचलन में नोटों के मूल्यवर्ग को कम करने के अलावा इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन का प्रचार करने की आवश्यकता है। यहीं पर जन धन योजना उपयोगी सिद्ध होगी। चूंकी भारत की अधिकांश जनसंख्या को बैंक अकाउंट की पहुंच प्राप्त होगी, बैंक लेनदेन करना अब सरल होगा। तो सरकार एक नीयम बना सकती है कि यदि आपको न्यूनतम वेतन से अधिक किसी भी वेतन के लिए आयकर में कटौती चाहिये-उसका भुगतान बैंक अकाउंट द्वारा किया जाना होगा।

क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड के उपयोग का प्रचार किया जाना चाहिये। प्रत्येक लेनदेन की कीमत 2.5 प्रतिशत जितनी उच्च है और उसे किसी भी तरह से नीचे लाया जाना चाहिये। क्रेडिट कार्ड/ डेबिट कार्ड इन दिनों चिप, ओटीपी व एसएमएस अधिसूचना जैसी सुविधाओं के साथ बहुत सुरक्षित है।

यूपीआई की शुरूआत-अगस्त 2016 में रिज़र्व बैंक द्वारा एकीकृत भुगतान इंटरफेस ने कई सारी संभावनाओं को खोल दिया है। मान लीजिए कि आप खरीदारी करने बाहर गए हैं- आपको नकद या कार्ड या चैक बुक की आवश्यकता नहीं है। आप एक टीवी खरीदने का निर्णय लेते हैं- आपके पास आपका मोबाइल फोन व आपका पासवर्ड है। आपको प्राप्तकर्ता की यूपीआई आईडी दर्ज करनी है जिन्हें आपको पैसों का भुगतान करना है व तुरंत पैसे स्थानांतरित कर दीजिए।

15 बैंक अपने एंड्रॉयड एैप्स को यूपीआई के साथ जोड़ चुके हैं। आप यूपीआई के द्वारा पैसे भेज व प्राप्त कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि आप कुछ ही क्षणों के भीतर अंतर बैंक लेनदेन कर सकते हैं। लेनदेन का कोई शुल्क नहीं है व याद रखने के लिए कोई अतिरिक्त पासवर्ड भी नहीं है- फिर भी यह पूर्णतः सुरक्षित है। यहां तक कि तीन स्तरीय सुरक्षा है - मान लीजिये कि आपके माबाईल फोन में फिंगर प्रिंट सुरक्षा है, फिर आपके एैप में 4 अंकों का पिन होगा व अंत में यूपीआई के लिए आपको आपके डेबिट कार्ड के पीछे लिखा हुआ नंबर लिखने की आवश्यकता होगी। तो ज्ञान के बगैर पैसे चुराना असंभव है।

यह जो बैंकिंग मार्ग बनाता है उसके कारण-अवैध लेनेदेन में इलेक्ट्रानिक धन का बहुत कम प्रयोग किया जाता है। सरकार को ऐसे लेनदेन का प्रचार स्वीडन की तरह करना चाहिये। उस देश ने ऐसे ही ‘‘स्वीश” नाम का मोबाइल आधारित भुगतान शुरू किया है व नकद पर उसकी निर्भरता को कम किया है।


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