विमुद्रीकरण के बिग बैंग सुधार के बाद यह सुनिश्चित
करने के लिए कि बिग बैंग सुधार का उद्देश्य पूरा हो, अब सरकार को छोटे सुधारों की एक
श्रृंखला का पालन करना चाहिए। आने वाला बजट सत्र ऐसे सुधारों पर केंद्रित होने का सही
समय है।
- सभी सरकारी राजस्व डिजिटल होने चाहिए -यदि आपने एक संपत्ति खरीदी, तो पंजीकरण दस्तावेज के लिए आपको या तो डीडी बनाने अथवा नकद भुगतान करने की आवश्यकता है। इसके लिए एक व्यक्ति को बैंक से नकद प्राप्त करने की आवश्यकता है। सभी सरकारी भुगतानों को डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड या ऐसे अन्य भुगतानों द्वारा डिजीटल बनाया जाना चाहिए। यह नगर निगम से लेकर केंद्र सरकार तक अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। चुंगी या प्रवेश कर इस प्रकार के कर हैं जिनका भुगतान ट्रक चालकों द्वारा किया जाता है और अधिकांश समय नकद में ही किया जाता है। यदि सरकार कैशलेस होने को लेकर वाकई गंभीर है, तो उन्हें केवल डिजिटल भुगतान की ही अनुमति प्रदान करनी चाहिए।
- सभी सरकारी व्यय अनिवार्य रूप से बैंक भुगतान द्वारा ही किए जाने चाहिए। विक्रेता चाहे कितना भी छोटा क्यों ना हो, उसे बैंक खाते द्वारा ही भुगतान किया जाना चाहिए। खुदरा नकद खर्च पर बहुत सख्त नियंत्रण बनाए रखा जाना चाहिए। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बैंकिंग प्रवेश कम है, भ्रष्टाचार कम करने के लिए विक्रेताओं को बैंक खाते में ही भुगतान किया जाना चाहिए।
- यहां तक कि टोल, प्रविष्टि तथा यातायात चालान भी डिजिटल तौर पर किया जाना चाहिए। इससे नागरिकों को नकद साथ में लेकर चलने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। सूक्ष्म भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार नाममात्र की छूट दे सकती है जैसे कि पेट्रोल पंप में 0.75 प्रतिशत। यहां तक कि जब भुगतान प्रणाली सुचारू रूप से की जाएगी, कर्मचारी धोकाधड़ी के मामले भी कम हो जाएंगे।
- सभी सब्सिडीयों का भुगतान आधार से जुड़े बैंक खातों में ही किया जाना चाहिए। सब्सिडी के रूप में एक पैसे की भी नकद कमाई नहीं होनी चाहिए। सरकार द्वारा यह पहले ही विभिन्न स्तरों पर पारित किया जा चुका है, हालांकि सभी सरकारी योजनाओं ने इसे अनिवार्य नहीं बनाया है।
- आयकर निर्धारिती जो उनकी आय से खर्च के तौर पर वेतन काटना चाहते हैं उन्हें बैंक खातों को ही वेतन का भुगतान करना चाहिए। यह प्रतिमाह बहुत सी नकद कमाई को समाप्त करेगा।
- हाथ में नकदी करः विमुद्रीकरण के बाद कोई भी व्यक्ति जिसके पास भारी मात्रा में नकद है उस पर कर लगाया जाना चाहिए। कंपनियां हाथ में नकदी दर्शा कर उसका इस्तेमाल भ्रष्टाचार के लिए कर सकती हैं। इसलिए ऐसे नकद पर कर लगाया जाना चाहिए जो बैंक से निकाल लिया गया है परंतु एक समय सीमा के भीतर इस्तेमाल नहीं किया गया है। हाथ पर नकदी की बड़ी मात्रा में जमाखोरी का अर्थ है कि कंपनी का कोई अवैध इरादा है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए कहा जाना चाहिए। भारत के पास सबसे बड़े डाकघर नेटवर्क में से एक है। एक निश्चित जनसंख्या से अधिक वाले प्रत्येक गांव में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक होने चाहिए।
- एटीएम की बढ़ोतरीः 125 करोड़ लोगों के देश के लिए कार्य करने के लिए केवल 2 लाख ही एटीएम हैं। इसका अर्थ है कि 6250 लोगों के लिए एक एटीएम। यह मानते हुए कि एक व्यक्ति तीन सदस्यों के परिवार को सहारा दे रहा है, एटीम द्वारा उनकी मासिक नकद प्राप्ति पर 2000 लोग आश्रित होंगे। दुर्भाग्य से ये एटीएम केवल शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं। यदि हम चाहते हैं कि पूरा देश कैशलेस अर्थव्यवस्था को अपनाए तो हमारा एटीएम नेटवर्क डाकघरों से भी अधिक होना चाहिए।
- डेबिट कार्डः इस देश में केवल 7.4 करोड़ डेबिट कार्ड ही हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि लोग कैशलेस अर्थव्यवस्था के विचार से चिंतित हों। लगभग 40 करोड़ बैंक खातों के साथ डेबिट कार्ड उपयोगकर्ताओं की संख्या बहुत कम है। सरकार के लिए यह साबित करने का कि वे एक ‘‘स्वच्छ भारत” के लिए गंभीर हैं, संसद का बजट सत्र एक सुनहरा मौका है।
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